tag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post3593069496529066029..comments2022-11-20T03:04:58.186-08:00Comments on सेतु साहित्य: अनूदित साहित्यसुभाष नीरवhttp://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-45900397962588298172010-01-05T03:30:55.493-08:002010-01-05T03:30:55.493-08:00Subhaash ji,
Bahut achhi kavitayen hain...Aur aapk...Subhaash ji,<br />Bahut achhi kavitayen hain...Aur aapka anuvaad bhi...Thanks for sharing !!!<br />priyaSufihttps://www.blogger.com/profile/05759377801134348800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-68640230392901696992009-12-19T21:12:03.300-08:002009-12-19T21:12:03.300-08:00बहुत बढ़िया लघुकथा ! पढ़कर मजा आ गया। लेखक और अनुवाद...बहुत बढ़िया लघुकथा ! पढ़कर मजा आ गया। लेखक और अनुवादक दोनों को बधाई !Anuj Kumarhttps://www.blogger.com/profile/12626756225606630370noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-26759007106590139112009-12-16T22:10:10.040-08:002009-12-16T22:10:10.040-08:00सुभाष जी सुखदेव जी सुंदर कविताओं का हिन्दी में इत...सुभाष जी सुखदेव जी सुंदर कविताओं का हिन्दी में इतना अच्छा अनुवाद है कि पढ़कर यह प्रतीत ही नहीं होता कि यह किसी और भाषा की कविताएं हैं। सुखदेव जी सुंदर कविताएं लिखने के लिए और आपको अनुवाद के लिए बधाई।राजेश उत्साहीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-40862360231337992032009-12-04T22:35:59.219-08:002009-12-04T22:35:59.219-08:00भाई ,सुभाष नीरव.आप ने सुखदेव जी की बहुत सुन्दर रचन...भाई ,सुभाष नीरव.आप ने सुखदेव जी की बहुत सुन्दर रचनाओं का चयन और अनुवाद किया है.कवि को संवेदन शील रचनाओं केलिए तथा आप को सहज अनुवाद के लिए बधाई.सुरेश यादवhttps://www.blogger.com/profile/16080483473983405812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-78853656917332888122009-11-14T07:31:23.909-08:002009-11-14T07:31:23.909-08:00... बेहद प्रसंशनीय रचनाएं हैं !!!!!!... बेहद प्रसंशनीय रचनाएं हैं !!!!!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-6778756974037109162009-11-13T07:23:25.075-08:002009-11-13T07:23:25.075-08:00पर जो एक सघन, सुवाहना
और हरा-भरा वृक्ष
इसमें नहीं ...पर जो एक सघन, सुवाहना<br />और हरा-भरा वृक्ष<br />इसमें नहीं दिखाई देता<br />उसका मैं क्या करूँ ?<br /><br />बहुत खूब....!!<br /><br />आज फिर<br />दिन भर तेरी याद<br />इस तरह मेरे साथ रही<br />जैसे काल कोठरी की<br />भूरी उदास खिडकी के पार<br />बसंत की सुनहरी धूप में<br />खिला हुआ गुलाब।<br /><br />वाह .....सुभाष जी सुखदेव जी को बधाई इन सुंदर रचनाओं के लिए ....इनकी लेखनी में गहनता है जो आपके अति सुंदर अनुवाद से और खिल उठीं हैं ....नागमणि तो शायद अब बंद हो चुकी है ......!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-35107253699396345412009-11-12T05:03:36.798-08:002009-11-12T05:03:36.798-08:00SUKHDEV JEE KI SAAREE KAVITAEN PADEE MAN KHUSH HO ...SUKHDEV JEE KI SAAREE KAVITAEN PADEE MAN KHUSH HO GAYAA TATHAA BALRAAM JEE KI TIPPANEE SE SEHMAT HOON-<br />SAARAA HEE OOJAALA<br />BAAHAR SE AAE<br />YEH BHEE KOII ACHCHHI BAAT NAHEEN.<br />MEREE AUR SE BADHAAEE SWEEKAREN<br /> ASHOK ANDREYashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-69782943022410805012009-11-11T07:51:45.423-08:002009-11-11T07:51:45.423-08:00सुखदेव की सभी कविताएँ लाजवाब हैं।
सारा ही उजाला
ब...सुखदेव की सभी कविताएँ लाजवाब हैं। <br />सारा ही उजाला<br />बाहर से आए<br />यह भी कोई अच्छी बात नहीं।<br />जो कवि इस सत्य से परिचित है--उसकी कविताओं में उजाला न हो यह हो नहीं सकता।बलराम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-72526121916788504182009-11-10T22:50:06.699-08:002009-11-10T22:50:06.699-08:00kavitaayen waqaee taza hawa ke jhonke see hain!
ma...kavitaayen waqaee taza hawa ke jhonke see hain!<br />man prasann ho utha !<br />Rekha Maitra <br />rekha.maitra@gmail.comAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-59889748795686759172009-11-10T07:10:05.516-08:002009-11-10T07:10:05.516-08:00मुहब्बत मोहपाश
दूरी भटकन
मैं जब भी तुझसे दूर होता ...मुहब्बत मोहपाश<br />दूरी भटकन<br />मैं जब भी तुझसे दूर होता हूँ<br />तो ये मुझे बहुत दुख देते हैं- मैंने कहा।<br /><br />चलने का ढंग' कविता लाजवाब !!<br />बहुत सुन्दर रचनाएँ..उतना सुन्दर अनुवाद भी...!! Ria Sharmahttps://www.blogger.com/profile/07417119595865188451noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-6165511330664773872009-11-10T01:41:56.603-08:002009-11-10T01:41:56.603-08:00मैं
चलता हूँ बाहर
और देखता हूँ अंदर।
मैं
चलता हूँ...मैं<br />चलता हूँ बाहर<br />और देखता हूँ अंदर।<br /><br />मैं<br />चलता हूँ अंदर<br />और भटकता हूँ बाहर।<br />इक उम्र बीत चली है<br />पर मुझे अभी तक<br />चलने का ढंग नहीं आया।<br /><br />AChchhi kavitaeinप्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-44723840681213193372009-11-10T00:56:57.017-08:002009-11-10T00:56:57.017-08:00प्रिय दोस्त,
तुम्हें फिर सक्रिय हो कर फील्ड में दे...प्रिय दोस्त,<br />तुम्हें फिर सक्रिय हो कर फील्ड में देख कर बहुत अच्छा लग रहा है. मन की संवेदना बनी भी रहे और वह भीतर की द्रढ़ता को भुरभुराए भी नहीं यह संतुलन बहुत महत्व रखता है. विश्वास है कि तुम इसे साध पा रहे हो.<br />'सेतु साहित्य' देख कर टिप्पणी दूंगा.<br /> <br />अशोक गुप्ता<br />ashok267@gmail.comAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-75889949428068051002009-11-09T06:03:15.852-08:002009-11-09T06:03:15.852-08:00इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.रूपसिंह चन्देलhttps://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-47022135968527325102009-11-09T06:03:15.154-08:002009-11-09T06:03:15.154-08:00मैं
चलता हूँ बाहर
और देखता हूँ अंदर।
मैं
चलता हूँ...मैं<br />चलता हूँ बाहर<br />और देखता हूँ अंदर।<br /><br />मैं<br />चलता हूँ अंदर<br />और भटकता हूँ बाहर।<br />इक उम्र बीत चली है<br />पर मुझे अभी तक<br />चलने का ढंग नहीं आया।<br />सुभाष कवि-कथाकार सुखदेव की सभी कविताएं पढ़ गया. ऊपर लिखी कविता उनकी मुझे सर्वाधिक पसंद आयी. <br /><br />’अलविदा’ भी अच्छी कविता बनते बनते रह गयी क्योंकि मेरे अनुसार पुरोहित कभी पूज्यनीय नहीं होते. उन जैसा धूर्त कोई नहीं होता ---- कभी भले-सरल होते रहे होंगे लेकिन आज नहीं . शेष कविताएं भी पसंद आईं.<br /><br />रूपसिंह चन्देलरूपसिंह चन्देलhttps://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-55443639802752577072009-11-09T03:39:14.671-08:002009-11-09T03:39:14.671-08:00SUKHDEV JEE KEE KAVITAAYEN PADHKAR
MUN KO SUKH HE...SUKHDEV JEE KEE KAVITAAYEN PADHKAR<br /> MUN KO SUKH HEE SUKH MILAA HAI.<br />CHHOTEE-CHOTEE KAVITAAON MEIN <br />VE BAHUT KUCHH KAHNE MEIN DAKSH<br />LAGTE HAIN.ASHA HAI KI BHAVISHYA<br />MEIN UNKEE AUR RACHNAAYEN BHEE <br />PADHNE KO MILENGEE.SUBHAASH JEE KO<br />UNKE SUNDAR ANUWAD KE LIYE BADHAAEEPRAN SHARMAnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-20547944831425866632009-11-08T01:39:13.728-08:002009-11-08T01:39:13.728-08:00सभी कविताये बहुत सुंदर लगी, आप का धन्यवाद इन्हे हि...सभी कविताये बहुत सुंदर लगी, आप का धन्यवाद इन्हे हिन्दी मै अनुवाद कर के हम तक पहुचायाराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.com