tag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post8749222458432892884..comments2022-11-20T03:04:58.186-08:00Comments on सेतु साहित्य: अनूदित साहित्यसुभाष नीरवhttp://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-77392988348596310512011-04-11T18:26:06.732-07:002011-04-11T18:26:06.732-07:00विशाल जी की दोनों कविताएं बहुत अच्छी लगी !विशाल जी की दोनों कविताएं बहुत अच्छी लगी !Sandiphttps://www.blogger.com/profile/04537166216332324671noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-48251053820106990932011-04-08T16:10:08.825-07:002011-04-08T16:10:08.825-07:00भाई सुभाष नीरव जी,
मार्च की व्यस्तता के कारण आज मै...भाई सुभाष नीरव जी,<br />मार्च की व्यस्तता के कारण आज मैंने पंजाबी कवि विशाल जी ये अनुदित कविताएँ पढ़ी। पहली कविता" पुरखे" दो पीढ़ियों के बीच जेनेरेशन गैप को रेखांकित करती है। समय के साथ सोच में बदलाव और सोचने के तरीके कितने बदल जाते हैं! दूसरी कविता अनूठी प्रेम कविता है जो जीने के आत्मविश्वास से लबरेज है। कवि विशाल जी के साथ-साथ जीवंत अनुवाद के लिये आपको भी बधाई। शब्दों का प्रयोग और कविताई का नया ढ़ंग भी कविता को उँचाई प्रदान करता है।Sushil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/09252023096933113190noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-39038820786166682722011-04-06T03:45:01.340-07:002011-04-06T03:45:01.340-07:00vishal jee ki dono kavitaon ne achchha prabhav chh...vishal jee ki dono kavitaon ne achchha prabhav chhoda hai badhaiashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-72122992874540268782011-04-06T02:28:21.573-07:002011-04-06T02:28:21.573-07:00sunder kavitao keliye badhai sadhuwad .sunder kavitao keliye badhai sadhuwad .सुनील गज्जाणीhttps://www.blogger.com/profile/12512294322018610863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-74841101787923607202011-04-01T06:43:48.595-07:002011-04-01T06:43:48.595-07:00सुभाष जी
दूसरी कविता [शब्दों की गूँज वाली ] बेहद ...सुभाष जी <br />दूसरी कविता [शब्दों की गूँज वाली ] बेहद पसंद आई ,मूल और अनुवाद दोनों दृष्टियों से !<br />बधाई स्वीकार करें !<br />सादर <br />रेखा <br />rekha.maitra@gmail.comAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-73623655696468536912011-03-31T09:28:24.187-07:002011-03-31T09:28:24.187-07:00APNEE KAVITAAON KEE PANKTI - PANKTI
MEIN VISHAL JI...APNEE KAVITAAON KEE PANKTI - PANKTI<br />MEIN VISHAL JI VISHAALTA KA BKHOOBEE PARCHAY DETE HAIN . UMDA <br />KAVITAAON KE LIYE UNHEN BADHAAEE<br />AUR SHUBH KAMNA . BADHAAEE AUR<br />SHUBH KAMNAA VARISHTH SAHITYAKAAR<br />SUBHASH NEERAV JI KO BHEE JO <br />PANJAABI KE STARIY SAHITYA KO <br />ANUWAAD KARNE MEIN JUTE HAIN AUR<br />UPLABDH KARWAA RAHEN HAIN .PRAN SHARMAnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-60633729880798077702011-03-31T08:50:14.793-07:002011-03-31T08:50:14.793-07:00भाई सुभाष,
मैंने ब्लॉग पर टिप्पणी छोड़ने का प्रया...भाई सुभाष,<br /><br /><br />मैंने ब्लॉग पर टिप्पणी छोड़ने का प्रयास किया, लेकिन गयी नहीं. नीचे दे रहा हूं. इसे बेनामी में ही लगा देना.<br /><br /><br />"विशाल की कविताएं मन को गहराई तक स्पर्श करती हैं. पहली कविता ’पुरखे’ सामयिक संदर्भ की सूक्ष्म अभिव्यक्ति है. लेकिन अंतिम पंक्ति में यदि ’अम्बर’ के स्थान पर ’आकाश’ होता तो शायद अधिक सटीक रहा होता. वैसे मैं कविता के मामले में कोरा कागज हूं. तुम कवि-कथाकार दोनों ही हो इसलिए अनुवाद में सही ही शब्द पकड़ा होगा.<br /><br /><br />रूपसिंह चन्देल<br />९८१०८३०९५७Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-82084539984401597382011-03-30T09:12:49.704-07:002011-03-30T09:12:49.704-07:00वार्तालाप की गूंज बेहद स्पष्ट्वादी कविता है ।परम्...वार्तालाप की गूंज बेहद स्पष्ट्वादी कविता है ।परम्पराओं में जकड़े लोगों को इस बात की अनुभूति होनी चाहिए कि नई पीढ़ी भी समझदार है |हाथ से हाथ मिलाकर उनके साथ चला जाय तो अच्छा है। कवि को बधाई है |<br />सुधा भार्गवसुधाकल्पhttps://www.blogger.com/profile/14287746370522569463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-73630610035126034482011-03-30T07:18:21.008-07:002011-03-30T07:18:21.008-07:00सुभास जी त्रेह मुझे भी मिल चुकी है .....
मैं भी कु...सुभास जी त्रेह मुझे भी मिल चुकी है .....<br />मैं भी कुछ कवितायेँ अनुवाद करना चाहती थी विशाल जी की ....<br />मुझे विशाल जी को डॉ विनीता द्वारा सम्पादित किसी पुस्तक में पढने का मौका मिला<br />और इनकी कविताओं ने मुझे बहुत प्रभावित किया ..<br />कमाल का लिखते हैं ....<br />सीधे रूह में उतर जाती है इनकी रचनायें ....<br />जैसे ये पंक्तियाँ .....<br /><br />जैसे कोई पानियों में<br />पानी होकर सोचता है।<br /><br />इनका E-mail संभव हो तो दें .....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6997446212978643481.post-49244850285349748302011-03-29T23:05:56.046-07:002011-03-29T23:05:56.046-07:00विशाल की कविताओं पर डा. शरद सिंह ने अपनी टिप्पणी प...विशाल की कविताओं पर डा. शरद सिंह ने अपनी टिप्पणी प्रेषित की है जो नीचे दी जा रही है-<br /><br /><br />विशाल जी की दोनों कविताएँ पढ़ कर <br />आनन्द आ गया...<br /><br />दोनों कविताएं एक अलग ही भाव-संसार में ले जाती हैं... <br />डा. शरद सिंहसुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.com