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पंजाबी कविता
विशाल की दो कविताएँ
हिंदी अनुवाद : सुभाष नीरव
पुरखे
समझ - नासमझ की उम्र थी मेरी उस वक़्त
दादा, पिता से कहते -
अब वो समय नहीं रहे
हमारे समय बात और होती थी
मेरा क्या पता कब आँखें मूंद जाऊं
अपना आगा-पीछा संभाल
सयाना बन।
पिता ने भी ऐसी ही हिदायतें
मेरे आगे रखीं
हमारे समय अच्छे होते थे
अब वो बातें नहीं रहीं
समय बहुत नाज़ुक है
ध्यान से क़दम उठाना
लोग कहते कुछ और हैं
करते कुछ और हैं
बुरे-भले की पहचान करना।
पिता के माथे की त्यौरियां
हो गईं मेरे में ज़रब
और मुझे लगा
कि समय वाकई बड़ा नाज़ुक है
समझ कर चलने की ज़रूरत है
अपने जवान हो रहे बेटे को
देखकर मैंने सोचा
मेरा भी फ़र्ज़ बनता है
कि इसको कुछ समझाऊँ -
समय बदलता जा रहा है
आने वाला कल पता नहीं कैसा हो
अपने पैरों पर खड़ा हो ...
बेटे ने बात काटी -
आप बात कल की करते हो
मैं तो आज को लेकर भी नहीं सोचता
सोचता हूँ तो
उन ख़ूबसूरत पलों के बारे में
जो मैं अब जी रहा हूँ।
इससे पहले कि मैं उसकी तरफ देखता
वह आकाश की ओर देख रहा था।
०
वार्तालाप की गूँज
मैं आजकल अक्सर
तेरे बारे मैं सोचने लग पड़ा हूँ
जैसे कोई पानियों में
पानी होकर सोचता है।
तुझे गुनगुनाने लग पड़ा हूँ इस तरह
जैसे प्रात:काल के 'शबद' का आलाप
तेरी तलाश का सफ़र
किसी अनहद राग का मार्ग
तेरी याद तेरा मिलन
सरगम के सारे सुर
अधूरे सिलसिले
कुछ संभव, कुछ असंभव
अतृप्त मन की कथा।
अथाह पानियों में घिरा हूँ तब भी
मेरे लिबास की तपिश वैसी ही
तू बर्फ की तरह मेरे पास रह
मेरी रेतीली प्रभात
मेरे भावों के मृगों का रंग तो बदले
कि बना रहे जीने का सबब।
मैं लम्हा -लम्हा तेरा
मेरे अन्दर बैठे पहाड़ के लिए
तू बारिश बन
मैं भीग भीग जाऊं
तेरे अन्दर बह रही नदी के संग
हो जाऊं मैं भी नदी
मेरी नज़र की सुरमई शाम पर
इस अजीब मरहले को
स्मृतियों के भार से मुक्त कर दे
तुझे संबोधित होते हुए भी चुप हूँ
यह सबकुछ मैं तुझसे कह रहा हूँ...
००
(यह दोनों कवितायेँ विशाल के सद्य प्रकाशित पंजाबी कविता संग्रह 'त्रेह'(प्यास) से ली गईं हैं)
पंजाबी कविता में पाश, पात्तर के बाद जिन कवियों ने अपनी कविता की बदौलत एक खास पहचान बनाई, उनमें वि
शाल एक प्रमुख नाम है। अब तक चार पंजाबी में चार कविता पुस्तकें - 'तितली ते काली हवा (१९९२,२००५)', 'कैनवस कोल पई बंसरी (१९९९)', 'मैं अजे होणा है(२००३)' और 'त्रेह (२०११)' तथा दो गद्य पुस्तकें - 'थारी याद चौखी आवे (२००५,२००६)' और 'इटली विच मौल्दा पंजाब (२००२)' प्रकाशित।
संपर्क : Milono 116 B, Breesica- 25100, Italyपंजाबी कविता में पाश, पात्तर के बाद जिन कवियों ने अपनी कविता की बदौलत एक खास पहचान बनाई, उनमें वि
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