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पंजाबी कविता
मित्रो, ‘सेतु साहित्य’ के अक्तूबर 2011 अंक में हम पंजाबी के बहुमुखी प्रतिभा के धनी कवि-कथाकार-चित्रकार जगतारजीत की कुछ कविताओं का हिंदी अनुवाद आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। आशा है, आपको ये कविताएं पसन्द आएंगी। आपकी छोटी-सी प्रतिक्रिया भी हमारा मनोबल बढ़ाती है, इसलिए अपनी प्रतिक्रिया से हमें अवश्य अवगत कराते रहें…
-सुभाष नीरव
-सुभाष नीरव
जगतारजीत के तीन कविताएँ
(हिंदी रूपान्तर : सुभाष नीरव)
(हिंदी रूपान्तर : सुभाष नीरव)
खिड़की
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiQLHbGobjMfBEeuEwJh7tqB0xPSlx5e3wFBIMtM4LP2R-G9n2NWP7ivZmPauWNTKglegp0aybqfVUULewfoqyjW_OkQCEsn66IN50xalLcNhB1pyj6dgpr-i_YSEGLwU_NHJXz-BB2uaQ4/s320/4158351665.jpg)
उसने आहिस्ता से
खिड़की खोली
सिर बाहर निकाला
आँखें घुमाईं
गली सुनसान थी
तेज़ बहती हवा के साथ
रेतकण थे
नीले आसमान के आगे
रूई के फ़ाहों जैसे बादल
उड़े जा रहे थे
पश्चिम दिशा की ओर
कमरे में दाख़िल हुए
रेतकणों से बेख़बर
वह खिड़की में बैठी
नज़रों से सी रही थी बादल
आँखों से टपकते आँसुओं से
भरती रही उनमें पानी
खिड़की के इस ओर के हिस्से को
घर कहते हैं
जो अपने नियम के अंदर चलता है
खिड़की के दूसरी ओर का हिस्सा
गली से जुड़ा हुआ है
जिसके पार
जंगल-बियाबान है
वह दोनों के बीच अटकी
खिड़की के पल्ले की भाँति
हिल रही है।
कपड़े
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgtUaGgGmd7fF6mpRHvB5de4w6P-ws-H_ZvQ69FvlT1_-zJwhGtqss5oG4Kt4X8puxhF2BkVt768m9LPalRv6yGpf6nRNch2aEeWD3AsrWvXvBo-_5po4YX59qzf2hMhoE-63NN845846D3/s320/imagesCALP7VQA.jpg)
खुले आसमान के नीचे
घर की स्त्री
टब में से धोए हुए कपड़े उठा
तार पर फैला रही है
तार पर फैलाते समय
उसके मन के अंदर
जी उठता है वह रूप
जिसने मैला वस्त्र उतार
रख दिया था धोने के लिए
हाथों से धुला वस्त्र उठाती
उंगलियों से छूती
आँखों से देखती-देखती
तार के हवाले कर देती
पल भर में उसने सारा परिवार
एक-दूजे के पास-पास
एक जगह पर इकट्ठा कर दिया
परिवार के सदस्य
आजकल ऐसे ही
हफ़्ते में एक-आध बार
अपने-अपने कमरों में से निकल
एक-दूसरे से मिलते हैं
फिर तह होकर जा टिकते हैं
अपनी-अपनी जगहों पर
अगली मुलाकात तक।
धोबी
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgkdaVrayhU_elZV_KyTVor3p-Qk3RlrYHM-G6wpwjDuiMCZZlEJtbnm4uVL86i_2wO1NOTFBqbSUUNV0n3BKNAyklWg0yyb9gNky1avP7V19X_VF9JGCEulf3y3dFSVPT0J7GughrKNA-W/s320/imagesCAGLWUEV.jpg)
मैले-कुचैले वस्त्र
चले जा रहे हैं
नदी नहाने
बैठ धोबी के सिर पर
भांत-भांत के रंगों वाले
भिन्न-भिन्न नाप के
जाति कोई, धर्म कोई
बंधे एक ही गठरी
चले जा रहे
बैठ धोबी के सिर पर
पसीने में भीगा कोई
किसी बदन का साथ छोड़
देर बाद
नया-नकोर कोई
रहा हिचकिचाता मैल से
आए बास किसी से
लहू के बूँद की
सभी एक जगह
एक बार नदी चले
बैठ धोबी के सिर पर
बस्ती के बाहर-बाहर
धोबी का घर है
मैले-कुचैले वस्त्र
चले जा रहे हैं
नदी नहाने
बैठ धोबी के सिर पर।
00
जगतारजीत सिंह
जन्म : 12 दिसंबर 1951
शिक्षा : एम.ए., पी. एचडी
प्रकाशित पुस्तकें : कला अते कलाकार(कला), 1992 व 2005(पंजाबी व हिंदी में)। जंगली सफ़र(कविता), 2002(पंजाबी में)। रबाब(कविता),2006(पंजाबी में)। रंग अते लकीरें(कला), 2006(पंजाबी में)। अंधेरे में फूल जैसी सफ़ेद मेज(कविताएँ),2010(हिंदी में)। अद्धी चुंज वाली चिड़ी(बाल कहानियाँ), 2010(पंजाबी में)। अमलतास(कविताएँ), 2011(पंजाबी में)। पेंटर शोभासिंह : एक अध्ययन(प्रैस में)।
अनुवाद : घुन खादा होधा(असमी से) 2002, साहित्य अकादमी के लिए। स्वामी विवेकानन्द : एक जीवनी(हिंदी से) 2005, नेशनल बुक ट्रस्ट के लिए। जंग खादी तलवार अते दो छोटे नावल(असमी से) 2009( साहित्य अकादमी के लिए)।
सम्मान : भाषा विभाग, पंजाब(1992)। पंजाबी अकादमी, दिल्ली(2002)। हिंदी अकादमी, दिल्ली(2005)। भाषा विभाग, पंजाब(2007)।
सम्पर्क : 118-ए, प्रताप नगर, जेल रोड, नई दिल्ली-110064
मेल : jagtarjeet@rediffmail.com
टेलीफोन : 9899091186
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiQLHbGobjMfBEeuEwJh7tqB0xPSlx5e3wFBIMtM4LP2R-G9n2NWP7ivZmPauWNTKglegp0aybqfVUULewfoqyjW_OkQCEsn66IN50xalLcNhB1pyj6dgpr-i_YSEGLwU_NHJXz-BB2uaQ4/s320/4158351665.jpg)
उसने आहिस्ता से
खिड़की खोली
सिर बाहर निकाला
आँखें घुमाईं
गली सुनसान थी
तेज़ बहती हवा के साथ
रेतकण थे
नीले आसमान के आगे
रूई के फ़ाहों जैसे बादल
उड़े जा रहे थे
पश्चिम दिशा की ओर
कमरे में दाख़िल हुए
रेतकणों से बेख़बर
वह खिड़की में बैठी
नज़रों से सी रही थी बादल
आँखों से टपकते आँसुओं से
भरती रही उनमें पानी
खिड़की के इस ओर के हिस्से को
घर कहते हैं
जो अपने नियम के अंदर चलता है
खिड़की के दूसरी ओर का हिस्सा
गली से जुड़ा हुआ है
जिसके पार
जंगल-बियाबान है
वह दोनों के बीच अटकी
खिड़की के पल्ले की भाँति
हिल रही है।
कपड़े
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खुले आसमान के नीचे
घर की स्त्री
टब में से धोए हुए कपड़े उठा
तार पर फैला रही है
तार पर फैलाते समय
उसके मन के अंदर
जी उठता है वह रूप
जिसने मैला वस्त्र उतार
रख दिया था धोने के लिए
हाथों से धुला वस्त्र उठाती
उंगलियों से छूती
आँखों से देखती-देखती
तार के हवाले कर देती
पल भर में उसने सारा परिवार
एक-दूजे के पास-पास
एक जगह पर इकट्ठा कर दिया
परिवार के सदस्य
आजकल ऐसे ही
हफ़्ते में एक-आध बार
अपने-अपने कमरों में से निकल
एक-दूसरे से मिलते हैं
फिर तह होकर जा टिकते हैं
अपनी-अपनी जगहों पर
अगली मुलाकात तक।
धोबी
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgkdaVrayhU_elZV_KyTVor3p-Qk3RlrYHM-G6wpwjDuiMCZZlEJtbnm4uVL86i_2wO1NOTFBqbSUUNV0n3BKNAyklWg0yyb9gNky1avP7V19X_VF9JGCEulf3y3dFSVPT0J7GughrKNA-W/s320/imagesCAGLWUEV.jpg)
मैले-कुचैले वस्त्र
चले जा रहे हैं
नदी नहाने
बैठ धोबी के सिर पर
भांत-भांत के रंगों वाले
भिन्न-भिन्न नाप के
जाति कोई, धर्म कोई
बंधे एक ही गठरी
चले जा रहे
बैठ धोबी के सिर पर
पसीने में भीगा कोई
किसी बदन का साथ छोड़
देर बाद
नया-नकोर कोई
रहा हिचकिचाता मैल से
आए बास किसी से
लहू के बूँद की
सभी एक जगह
एक बार नदी चले
बैठ धोबी के सिर पर
बस्ती के बाहर-बाहर
धोबी का घर है
मैले-कुचैले वस्त्र
चले जा रहे हैं
नदी नहाने
बैठ धोबी के सिर पर।
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जन्म : 12 दिसंबर 1951
शिक्षा : एम.ए., पी. एचडी
प्रकाशित पुस्तकें : कला अते कलाकार(कला), 1992 व 2005(पंजाबी व हिंदी में)। जंगली सफ़र(कविता), 2002(पंजाबी में)। रबाब(कविता),2006(पंजाबी में)। रंग अते लकीरें(कला), 2006(पंजाबी में)। अंधेरे में फूल जैसी सफ़ेद मेज(कविताएँ),2010(हिंदी में)। अद्धी चुंज वाली चिड़ी(बाल कहानियाँ), 2010(पंजाबी में)। अमलतास(कविताएँ), 2011(पंजाबी में)। पेंटर शोभासिंह : एक अध्ययन(प्रैस में)।
अनुवाद : घुन खादा होधा(असमी से) 2002, साहित्य अकादमी के लिए। स्वामी विवेकानन्द : एक जीवनी(हिंदी से) 2005, नेशनल बुक ट्रस्ट के लिए। जंग खादी तलवार अते दो छोटे नावल(असमी से) 2009( साहित्य अकादमी के लिए)।
सम्मान : भाषा विभाग, पंजाब(1992)। पंजाबी अकादमी, दिल्ली(2002)। हिंदी अकादमी, दिल्ली(2005)। भाषा विभाग, पंजाब(2007)।
सम्पर्क : 118-ए, प्रताप नगर, जेल रोड, नई दिल्ली-110064
मेल : jagtarjeet@rediffmail.com
टेलीफोन : 9899091186