सेतु साहित्य में अनूदित साहित्य के अन्तर्गत सबसे पहले हम “लघुकथा” विधा को ले रहे है। प्रस्तुत है- पंजाबी की एक लघुकथा का हिन्दी अनुवाद…
छुटकारा
जसबीर ढंड
अनुवाद : सुभाष नीरव
माँ बियासी बरस की हो गई है। कई बार मौत के मुँह से बची है। अब हालत खस्ता ही है।
दिल्ली वाले मामा को गुजरे कई साल हो गये हैं। मामी विद्यावंती मामा की पेंशन से गुज़ारा करती है। दो बेटे हैं, पर दोनों की आपस में अनबन रहती है। मामा जीवित रहते आधा-आधा मकान दोनों बेटों के नाम कर गये थे। छोटा कस्टम अफसर तो तभी अपने हिस्से का मकान किराये पर देकर अलग होकर पटेल नगर रहने लग पड़ा था।
पिछले साल मामी गुसलखाने में फिसलकर गिर पड़ी थी और कूल्हा टूट जाने के कारण बिस्तर पर पड़ गई थी। छोटे कस्टम अफसर ने तो यह कहकर मामी को संग रखने से इन्कार कर दिया था कि उसके बच्चे छोटे हैं, इन्फैक्शन का डर है। बड़े ने मामी को मिलने वाली पेंशन में से हजार रुपये महीने पर एक माई रख दी थी। वही चौबीस घंटे उसको संभालती। स्वयं उन्हें काम-धंधों से फुर्सत कम ही मिलती थी।
मैं कल अंधेरा होने पर बाजार से लौटा तो बेटे ने कहा- “डैडी, दिल्ली से फोन आया था। आपकी मामी विद्यावती का स्वर्गवास हो गया।"
“दादी को तो नहीं बताया ।" मैंने बेटे से पूछा।
मुझे डर था कि माँ के लिए यह सदमा सहन करना कठिन होगा। औरतें चाहें बूढ़ी हो जायें, पर मायके की तरफ से भाइयों–भाभियों की चिंता करती ही रहती हैं। यों ही सुनकर विलाप करेगी।
“दादी को तो बता दिया।" बेटे ने जैसे सरसरी तौर पर कहा।
“फिर?… माँ रोई–कलपी नहीं…?"
“नहीं, वह तो कहती थी– चलो, छूट गई दोजख से।"
मेरे सिर पर से मानो बोझ–सा उतर गया।
माँ के कमरे में गया तो वह अंधेरे में ही पड़ी थी।
लाइट जलाई तो देखा वह मुँह–सिर लपेटे पड़ी–पड़ी धीरे–धीरे सिसक रही थी। सिरहाने का एक किनारा गीला था।
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पंजाबी उपन्यास
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यू.के. निवासी हरजीत अटवाल पंजाबी के सुप्रसिद्ध कथाकार और उपन्यासकार हैं।
इनके लेखन में एक तेजी और निरंतरता सदैव देखने को मिलती रही है। लेकिन
यह तेजी और नि...
6 वर्ष पहले
4 टिप्पणियां:
भारतीय भाषायें पा आयेंगी। अच्छा कार्य है। जारी रखें।
सोचा तो था एक नज़र डालकर एक टिप्पणी फेंक भागूँगा, परन्तु जरा-सा पढ़ना शुरू करते ही मधुमक्खी के पंखों की तरह मन 'सेतु साहित्य' के मधु-संग्रह में चिपक कर रहा गया। अत्यन्त रोचक एवं प्रेरक संग्रह।
आप एक अच्छा उददेश्य लेकर कार्य कर रहे हैं। बधाई।
Hi,
aap ka prayas bahut accha hai. Badhai tatha shubhkamnayen!
Dr.Priya Saini
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