दो पंजाबी कविताएं/ देवेन्द्र सैफ़ी
हिंदी रूपांतर : सुभाष नीरव
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
मुझे उस औरत जैसी लगी
जिसने चढ़ती उम्र में
'मरियम' बनने का सपना देखा हो।
फिर पूरी जवानी
जिसने मर्द बदलने में बिता दी हो
और अब बूढ़ी होकर
एक कोने में टूटी हुई चारपाई पर लेटी
तिनके से धरती पर लकीरें खींचती
जवानी में बदले हुए मर्दों के नाम गिनती
शर्मसार हो रही हो !
ज़िन्दगी
मुझे उस आदमी जैसी लगी
जो 'हीर की चूरी' की तलाश में निकला हो
और राहों में ठोकरें खाते-खाते
बेहोश हो गया हो
होश आने पर
वेश्या की सीढ़ियाँ उतर रहा हो।
मुर्गियाँ
हमारा पहला मालिक
हमें 'कुड़-कुड़' नहीं करने देता था
जब उसका दिल करता
हमें मार कर खा जाता था
नया मालिक
हमें दड़बे में रखेगा
हमारी 'कुड़-कुड़' पर
पाबन्दी नहीं लगायेगा
रोज़ हमारे अंडे लेकर जायेगा
पर हमें नहीं खायेगा
हम नाचती हैं
ऐसे मालिक के स्वागत में
हम नये युग की
समझदार मुर्गियाँ हैं।
सम्पर्क :
गांव– मोरांवाली
जि़ला– फरीदकोट, पंजाब(भारत)
फोन : 094174-26954
पंजाबी उपन्यास
-
यू.के. निवासी हरजीत अटवाल पंजाबी के सुप्रसिद्ध कथाकार और उपन्यासकार हैं।
इनके लेखन में एक तेजी और निरंतरता सदैव देखने को मिलती रही है। लेकिन यह तेजी
और न...
7 वर्ष पहले
3 टिप्पणियां:
ज़िन्दगी
मुझे उस औरत जैसी लगी
जिसने चढ़ती उम्र में
'मरियम' बनने का सपना देखा हो।
जिंदगी तो एक कोरा कागज़ है जिस पर जो लिख लें वही जीवन बन जाता है
एक फासला
एक राह
एक मंजिल
बहुत अच्छी रचना है, तस्वीरों से और भी सजीव हो जाती है
देवी
Priya Subhas,
Setu Sahitya ka naya ank dekha. Dono rachnakaron ki rachnaon ka chayan behtar hai. Kavitayen achhi hain.
Chandel
देवेन्द्र सैफ़ी की कविता‘जिदगी‘ जीवन के दुखते रगों का बयान हैं । अच्छी है ,और अनुवाद भी इतना जीवंत कि मूल रचना की तरह ही अपना प्रभाव छोड़ता है ।-सुशील कुमार
एक टिप्पणी भेजें