हिंदी अनुवाद : अनामिका
(1)
गठिया से दुखती उंगलियों पर
उम्मीद रख कर आयोडेक्स मलने जैसे निरर्थक
इस सालते अपने मन पर मैं
कविता चुपड़ना चाहती हूँ फिर
सब के प्रति कड़वा गुस्सा भर आता है…
इस लादे हुए औरतपन पर घृणा करते-करते
क्यों संभालने लगती हूँ अपने कंधे का पल्लू ?
इस विचार से मैं खुद ही को कोसती हूँ
यह भाषा मुझे पराई लगती है
पुरुष की नज़रों की तरह
मेरे अनजाने ही मुझे गढ़ने का हक
भूतकाल के पास गिरवी पड़ा है
इस बात पर भी झुंझलाहट…
इस झुंझलाने का कोई अर्थ नहीं शायद!
फिर भी मुझे दिखाई देती है
यह कविता विराट माया है
पुरुषार्थ को गोद में लिए
स्तनपान कराती हुई।
(2)
अपने पर सारा विश्वास मर जाए तो
हे परमेश्वर !
आत्महत्या का मार्ग बचा कर रख
यह खूबसूरत ज़िंदगी
एक-दूसरे को कठिन व अशक्य बनाने वाले
इन दिनों में
सारे रिश्ते तोड़ते समय
भीतर शांति तो बनाए रख।
बचा ले अपने लोहारी फेफड़ों से
मेरी बची हुई सांसें
और तख़्ती को कोरा-साफ़ रख
न जन्म लिख्नने के वास्ते।
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(अनामिका द्वारा संपादित और इतिहास बोध प्रकाशन, इलाहाबाद द्वारा प्रकाशित पुस्तक "कहती हैं औरतें" से साभार)
8 टिप्पणियां:
अद्भुत अंक बन पडा है इस बार , बधाई अनामिकाजी के अनुवाद ने मराठी कविताओं को बेहद खूबसूरत बना दिया ,सलाम आपको आपकी मेहनत को....
setu sahitya ka ank acha laga. khaskar roosi kavitayen.
-Mahesh Darpan
Anamika ji dwara anudit sisiliya ki kavitaon ka anuvad kubsurat hai. Itni blog magazines par kam karke kyon web magazines ke sampadkon ke liye irshya ka karan ban rahe ho.
Badhai tumbhe aur anuvadak ko.
Chandel
Anamika ji ke is anuvad mein mool kavita-jaisa hi aaswad mila. Unhein meri badhai dein... aur aapko bhi lein...
Anamika ji ke anuvad mein mool kavita ka aaswad mila. Unhein meri badhai dein aur aap bhi lein.
ताज़ा अंक की मराठी और कविताएं बहुत अच्छी हैं. अनुवाद सटीक.
बधाई.
सूरज प्रकाश
सुभाष जी
अनामिका द्वारा अनुवादित मराठी रचनायें अपनी सकारात्मक सोच को खूबी के साथ प्रदर्शित कर पाई है.
"कविता चुपड़ना चाहती हूँ फिर
सब के प्रति कड़वा गुस्सा भर आता है…
इस लादे हुए औरतपन पर घृणा करते-करते
क्यों संभालने लगती हूँ अपने कंधे का पल्लू ?"
अति सुंदर सजीव चित्र है नारी मन के आंदर की छटपटाहट का, उसके कैदी जज़बात का.
दाद के साथ
देवी नागरानी
"सेतु साहित्य" के मार्च अंक में अनामिका जी द्वारा अनूदित मराठी कविताओं पर आप सब की टिप्पणियों के लिए मैं आभारी हूँ।
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