गत 9 दिसम्बर 2011 को साहित्य अकादमी, दिल्ली के सभागार में हिंदी कथाकार और कार्टूनिस्ट राजकमल के उपन्यास पर चर्चा गोष्ठी का आयोजन था। वहीं हिंदी के कथाकार मित्र रमेश कपूर से भेंट हुई। उनके हाथ में पंजाबी कवि राजिंदर आतिश की कविताओं की एक पुस्तक थी। मैंने वहीं पुस्तक में से कुछ कविताएं पढ़ीं जो मुझे अच्छी लगीं। मित्र रमेश कपूर स्वयं भी एक अच्छे अनुवादक हैं और उनकी पत्नी वीजय लक्ष्मी जी को भी पंजाबी से हिंदी में अनुवाद का अच्छा अनुभव है। मैंने तुरन्त रमेश कपूर जी से कहा कि वह राजिंदर आतिश जी की कुछ कविताओं का हिन्दी अनुवाद मुझे “सेतु साहित्य” के लिए भेजें। उन्होंने मेरे अनुरोध पर राजिंदर आतिश की तीन कविताओं का हिंदी अनुवाद भेजा है जिसे यहाँ ‘सेतु साहित्य’ के पाठकों के लिए प्रकाशित किया जा रहा है। आशा है, आपको भी ये कविताएं पसन्द आएँगी और आप अपनी राय से हमें अवगत कराएंगे…
-सुभाष नीरव
पंजाबी कविता
राजिंदर आतिश की तीन कवितायें
अनुवाद : वीजय लक्ष्मी
दूरी
जितनी दूर जा रहा हूं मैं
धरती और सिकुड़ती जा रही है
अब निपट दूर हूँ
और धरती मेरी मुठ्ठी में है
समझ नहीं सकते आप
नजदीक रह कर
समझना हो मुझे तो
निकल जाओ दूर
भूल जाओ सदा के लिये।
राजिंदर आतिश की तीन कवितायें
अनुवाद : वीजय लक्ष्मी
दूरी
जितनी दूर जा रहा हूं मैं
धरती और सिकुड़ती जा रही है
अब निपट दूर हूँ
और धरती मेरी मुठ्ठी में है
समझ नहीं सकते आप
नजदीक रह कर
समझना हो मुझे तो
निकल जाओ दूर
भूल जाओ सदा के लिये।
वापसी
मैं लौट आऊंगा
उसी तरह जैसे
लम्बे सफर के बाद लौट आते हैं जहाज
अपने ठिकाने
और बदल जाते हैं मुसाफिर
एक शोर मेरे साथ-साथ
रेंगता है
कभी याद आता है
एक घर
एक गुमशुदा बच्चे का चेहरा
लोरी-सी लय
गूंजती रहती है कानों में
लौट आऊंगा मैं
एक खोये हुए बच्चे की तरह
लम्बे सफर से लौटे
जहाज की तरह
जैसे गुजरे हुए मौसम
लौट आते हैं मुड़-मुड़ क़र
ठूंठ वृक्षों की शाखाओं पर
लौट आते हैं हरिताभ पत्ते।
यायावर
जा चुकी परछाइयों के यायावर !
लौट आ
लौट आ, नंगी सोच के
नंगे सफर ! तू भी लौट आ
परछाईं नंगे बदन की तड़पी
और दौड़ पड़ी
डूब रहे सागर की ओर
नंगे रास्तों का नंगा सफर
परेशान है
इस जंगल में
कभी एक शहर बसता था
शहर कल हंसा और जंगल रो दिया
रेत सागर की खामोश है सदा के लिए
जागता है सिर्फ
खो चुकी राहों पर रुहों का सफर
भटकते हैं निशाचर पल
डावांडोल तकदीर की स्याह राह पर
घर जिसका न सोचो तो सांझी कब्र है
चीखती हुई चुप्पी है या
सिमटा हुआ इक शोर है
जा चुकी परछाइयों के
लौटने की आस लिए चला गया है यायावर
जाने दे, नंगी सोच के नंगे सफर !
तू भी लौट आ ।
00
(अनुवादक सम्पर्क :
ए -4/14, सैक्टर -18,
रोहिणी ,दिल्ली- 110 089
मोबाइल: : 9891252314)
मैं लौट आऊंगा
उसी तरह जैसे
लम्बे सफर के बाद लौट आते हैं जहाज
अपने ठिकाने
और बदल जाते हैं मुसाफिर
एक शोर मेरे साथ-साथ
रेंगता है
कभी याद आता है
एक घर
एक गुमशुदा बच्चे का चेहरा
लोरी-सी लय
गूंजती रहती है कानों में
लौट आऊंगा मैं
एक खोये हुए बच्चे की तरह
लम्बे सफर से लौटे
जहाज की तरह
जैसे गुजरे हुए मौसम
लौट आते हैं मुड़-मुड़ क़र
ठूंठ वृक्षों की शाखाओं पर
लौट आते हैं हरिताभ पत्ते।
यायावर
जा चुकी परछाइयों के यायावर !
लौट आ
लौट आ, नंगी सोच के
नंगे सफर ! तू भी लौट आ
परछाईं नंगे बदन की तड़पी
और दौड़ पड़ी
डूब रहे सागर की ओर
नंगे रास्तों का नंगा सफर
परेशान है
इस जंगल में
कभी एक शहर बसता था
शहर कल हंसा और जंगल रो दिया
रेत सागर की खामोश है सदा के लिए
जागता है सिर्फ
खो चुकी राहों पर रुहों का सफर
भटकते हैं निशाचर पल
डावांडोल तकदीर की स्याह राह पर
घर जिसका न सोचो तो सांझी कब्र है
चीखती हुई चुप्पी है या
सिमटा हुआ इक शोर है
जा चुकी परछाइयों के
लौटने की आस लिए चला गया है यायावर
जाने दे, नंगी सोच के नंगे सफर !
तू भी लौट आ ।
00
(अनुवादक सम्पर्क :
ए -4/14, सैक्टर -18,
रोहिणी ,दिल्ली- 110 089
मोबाइल: : 9891252314)
राजिंदर आतिश
जन्म : 8 सितम्बर, 1956, जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पंजाबी में नई कविता की अग्रिम पंक्ति के एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर। कई रचनाओं का हिन्दी के इलावा अन्य भाषाओं में भी अनुवाद। पंजाबी की कई महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं के सह-सम्पादक व सम्पादक। पंजाबी चैनलों पर भी रचनाओं का प्रसारण ।
प्रकाशित कृतियाँ : “हुण दी घड़ी” कविता संग्रह। 'टुकडे-टुकड़े सूरज' और 'वणगी' में कविताएं संकलित।
जन्म : 8 सितम्बर, 1956, जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पंजाबी में नई कविता की अग्रिम पंक्ति के एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर। कई रचनाओं का हिन्दी के इलावा अन्य भाषाओं में भी अनुवाद। पंजाबी की कई महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं के सह-सम्पादक व सम्पादक। पंजाबी चैनलों पर भी रचनाओं का प्रसारण ।
प्रकाशित कृतियाँ : “हुण दी घड़ी” कविता संग्रह। 'टुकडे-टुकड़े सूरज' और 'वणगी' में कविताएं संकलित।
सम्प्रति : अपना व्यवसाय तथा दिल्ली प्रदेश के प्रगतिशील लेखक संघ के सचिव ।
सम्पर्क : एफ - 123, द्वितीय तल, मानसरोवर गार्डन , नई दिल्ली - 110015
मोबाइल-7838393284
सम्पर्क : एफ - 123, द्वितीय तल, मानसरोवर गार्डन , नई दिल्ली - 110015
मोबाइल-7838393284
21 टिप्पणियां:
Teeno rachnayen bahut hee sundar hain!
तीनो ही रचनाये शानदार्।
बहुत सुन्दर , गहरे अर्थ लिए , भावपूर्ण रचनाये ! अच्छी रचनाओं को प्रकाशित करने का आपका यह सफ़र यूं ही जारी रहे ...
सादर
इला
RAJENDAR AATISH KEE KAVITAAYEN MAIN
BADE MANOYOG SE PADH GAYAA HUN .
KAVITAAYEN APNA PRABHAAV CHHODTEE
HAIN . SUNDAR ANUWAAD KE LIYE
VIJAY LAKSHMI KO BADHAAEE AUR SHUB
KAMNA .
अच्छी रचनायें हैं ......
निश्चित तौर पे राजेंदर जी अच्छा लिखते हैं ....
वापसी ज्यादा अच्छी लगी .....
रमेश जी तो छुपे रुस्तम निकले कभी बताया ही नहीं उनकी पत्नी भी साहित्य में रूचि रखती है ....
अनुवाद भी बहुत ही अच्छा है ....
Rajinder ji teenoN kavitayeN bahut achhi lagiN. Mubarik.
तीनों कविताएं बहुत सुन्दर हैं. अच्छे अनुवाद के लिए विजय लक्ष्मी को बधाई.
चन्देल
it is so nice of you for sending me the sumptuous messages and .....keen interest in the mod. poetry....rajinder aatish.....
bahut vadiyaa kavitavaan ne. congratulations........
and thank you for sharing such a nice collection of poems with all of us...
thank you for such effective lines ..
will be waiting for furthur poems.
thank you.
I really liked all the poems ...Great job. I would like to see more poems. Kindly add more poems of rajinder aatish. Well done ...!!
-TANYA KAUR
LIKED ALL THE THREE POEMS...
-IQBAL ALAM
Sat Sriakaal ji,
I have read these poems & found them very very artistic & good choice of words.Really a commendable & great job,requesting you to please publish more poems so that we can have the opportunity to read them & to know about the poet.This modern poetry really touches our heart & soul & help us to think in different outlook.May God bless the poet .Thanks & congrats & Good wishes to Poet.Happy New year !!!!
Best regards,
Natasha
Breathe-in experience, breathe-out poetry.
I like the Doori thee MOST...
Amazing poems..
Great work done , Keep it up ...it really touches my heart.
SSA ji,
Very good poems,nice selection of words & awesome thought process of poet
Warm Regards,
Natasha
Good collections ... Awesome
Great poems ..Good job
Read all 3 poems & found them very good .
एक टिप्पणी भेजें