रविवार, 18 दिसंबर 2011

अनूदित साहित्य


गत 9 दिसम्बर 2011 को साहित्य अकादमी, दिल्ली के सभागार में हिंदी कथाकार और कार्टूनिस्ट राजकमल के उपन्यास पर चर्चा गोष्ठी का आयोजन था। वहीं हिंदी के कथाकार मित्र रमेश कपूर से भेंट हुई। उनके हाथ में पंजाबी कवि राजिंदर आतिश की कविताओं की एक पुस्तक थी। मैंने वहीं पुस्तक में से कुछ कविताएं पढ़ीं जो मुझे अच्छी लगीं। मित्र रमेश कपूर स्वयं भी एक अच्छे अनुवादक हैं और उनकी पत्नी वीजय लक्ष्मी जी को भी पंजाबी से हिंदी में अनुवाद का अच्छा अनुभव है। मैंने तुरन्त रमेश कपूर जी से कहा कि वह राजिंदर आतिश जी की कुछ कविताओं का हिन्दी अनुवाद मुझे “सेतु साहित्य” के लिए भेजें। उन्होंने मेरे अनुरोध पर राजिंदर आतिश की तीन कविताओं का हिंदी अनुवाद भेजा है जिसे यहाँ ‘सेतु साहित्य’ के पाठकों के लिए प्रकाशित किया जा रहा है। आशा है, आपको भी ये कविताएं पसन्द आएँगी और आप अपनी राय से हमें अवगत कराएंगे…
-सुभाष नीरव



पंजाबी कविता

राजिंदर आतिश की तीन कवितायें
अनुवाद : वीजय लक्ष्मी

दूरी


जितनी दूर जा रहा हूं मैं
धरती और सिकुड़ती जा रही है

अब निपट दूर हूँ
और धरती मेरी मुठ्ठी में है

समझ नहीं सकते आप
नजदीक रह कर
समझना हो मुझे तो
निकल जाओ दूर
भूल जाओ सदा के लिये।



वापसी


मैं लौट आऊंगा
उसी तरह जैसे
लम्बे सफर के बाद लौट आते हैं जहाज
अपने ठिकाने
और बदल जाते हैं मुसाफिर

एक शोर मेरे साथ-साथ
रेंगता है
कभी याद आता है
एक घर
एक गुमशुदा बच्चे का चेहरा
लोरी-सी लय
गूंजती रहती है कानों में
लौट आऊंगा मैं
एक खोये हुए बच्चे की तरह
लम्बे सफर से लौटे
जहाज की तरह
जैसे गुजरे हुए मौसम
लौट आते हैं मुड़-मुड़ क़र

ठूंठ वृक्षों की शाखाओं पर
लौट आते हैं हरिताभ पत्ते।

यायावर


जा चुकी परछाइयों के यायावर !
लौट आ
लौट आ, नंगी सोच के
नंगे सफर ! तू भी लौट आ

परछाईं नंगे बदन की तड़पी
और दौड़ पड़ी
डूब रहे सागर की ओर
नंगे रास्तों का नंगा सफर
परेशान है

इस जंगल में
कभी एक शहर बसता था
शहर कल हंसा और जंगल रो दिया
रेत सागर की खामोश है सदा के लिए
जागता है सिर्फ
खो चुकी राहों पर रुहों का सफर
भटकते हैं निशाचर पल
डावांडोल तकदीर की स्याह राह पर
घर जिसका न सोचो तो सांझी कब्र है
चीखती हुई चुप्पी है या
सिमटा हुआ इक शोर है
जा चुकी परछाइयों के
लौटने की आस लिए चला गया है यायावर
जाने दे, नंगी सोच के नंगे सफर !
तू भी लौट आ ।
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(अनुवादक सम्पर्क :
ए -4/14, सैक्टर -18,
रोहिणी ,दिल्ली- 110 089
मोबाइल: : 9891252314)


राजिंदर आतिश
जन्म : 8 सितम्बर, 1956, जबलपुर (मध्य प्रदेश)

पंजाबी में नई कविता की अग्रिम पंक्ति के एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर। कई रचनाओं का हिन्दी के इलावा अन्य भाषाओं में भी अनुवाद। पंजाबी की कई महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं के सह-सम्पादक व सम्पादक। पंजाबी चैनलों पर भी रचनाओं का प्रसारण ।

प्रकाशित कृतियाँ :
हुण दी घड़ी कविता संग्रह। 'टुकडे-टुकड़े सूरज' और 'वणगी' में कविताएं संकलित।

सम्प्रति : अपना व्यवसाय तथा दिल्ली प्रदेश के प्रगतिशील लेखक संघ के सचिव ।
सम्पर्क : एफ - 123, द्वितीय तल, मानसरोवर गार्डन , नई दिल्ली - 110015
मोबाइल-7838393284