सोमवार, 27 अगस्त 2012

अनूदित साहित्य








पंजाबी कविता
दो कविताएँ/आसी
हिंदी रूपांतर : सुभाष नीरव

सिलसिला

कितनी हसीन थी
तेरी अलविदा की शाम
जी करता है -
तुझसे उम्र भर बिछुड़ता रहूँ।


तेरे मेरे पास

मैं तेरे करीब हूँ
जैसे नदिया के पास पानी हो
जैसे पानियों में रवानी हो
काग़ज़ी किश्तियों की कहानी हो
अल्हड़ की जवानी हो...


मैं तेरे समीप हूँ
खजूर पर अटकी पतंग की तरह
कब्र पर बैठे मलंग की तरह
हृदय में से उठती तरंग की तरह

मैं तेरे करीब हूँ
जैसे
चरवाहे का गीत हो
ज़माने की रीत हो
हवाओं में शीत हो

मैं इस तरह हूँ तेरे पास
ज्यों मेले में डरा हुआ बालक
सहम कर पकड़ी
माँ की उंगुली का ख़याल
रंगदार फिरकियों का फरफराहट…


मैं इस तरह
तेरे पास क्यों हूँ ?

तू इस तरह
मेरे पास क्यों नहीं ?
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आसी
जन्म : 11 सितम्बर 1965, निधन : 3 नवंबर 2001
बहुत छोटी उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाले इस पंजाबी कवि ने अपनी कविताओं से एक अलग पहचान बनाई थी। इन्होंने पंजाबी साहित्य को पाँच कविता संग्रह दिए - ' 'पुट्ठा घुकदा चरखा', 'उखड़ी अजान दी भुमिका', 'सहिजे सहिजे कहि', 'मैं उडाण विच हां' और ' 'निर्देशक'